Saturday, November 17, 2012

ला सकते हो तो ला देना
मुस्काने चेहरों पर
या अर्पण कर देना इस तन को 
इस राष्ट्र के पहरों पर 

पा सको यदि जो मौका
दूर विषमता को कर देना
रहे शेष जो समय यदि तो
स्वप्न समाज में भर देना

आँखों के तुम दीप हो जिनकी
उन आँखों का तेज़ बनो
जिस साँसों ने जन्म दिया
कुछ पल उनके भी साथ हसो

बचा सको जो फिर भी कुछ पल
वो पल शेष तुम्हारे है
जैसे चाहो उनको जीना
स्वप्न सजे जब सारे है

कृते अंकेश

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