Saturday, November 03, 2012

नयन बेपलक कापते रहे
उन परिंदों के पर नापते रहे
उड़ते रहे  आसमानी रंग  में
बेफिक्र  उनके संग में

समय भी बहता रहा
हसते  हसते  कहता रहा
रंगीन  शामें   सजती गयी
खामोशिया कुछ और बदती गयी

 मुलाकातों के दौर न थमें
 बस हम साथ साथ  चले
  गलत  होगा अगर हम कहे
 हमने कुछ न पाया

यह उनका ही तो साथ है
जिसने इतना कुछ सिखाया   

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