Thursday, September 19, 2013


पल कुछ आँखों में छोड़ गए तुम
जब आँखों को मोड़ गए तुम
आँखों के इन सपनों में जाने
किन आँखों को जोड़ गए तुम

आँखों की यह अनकही कहानी
इन आँखों ने कभी न जानी
गिर जाता जो इन आँखों से
है वो किन आँखों का पानी

आँखों के इस भंवर में डूबा
खोज रहा अब उन आँखों को
जो आँखे रही बुलाती हरदम
भरा भवन था जब आँखों से

कृते अंकेश