Thursday, November 15, 2012

लहरों ने कब छोड़ा था नाद
बढता जाता सागर विशाल 
टकराती हिम खंडो को रोक 
ले जाती भू खंडो को सोख 

उतरे जाते कितने थे पाल 
बड़ते जाते नावो के जाल 
सीमाओ का  अंत छोड़ 
बड़ते जाते सागर को मोड़ 

ऐसे ही उमड़े मन के भाव 
होते जाते कितने विशाल 
ले जाये किसको जोड़ तोड़ 
किसको  मिलता इनका है  छोर

कृते अंकेश  


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