Sunday, June 01, 2014


हम न जाने कब बड़े हुए, आ दूर घरो से खडे हुए
माँ तेरे आंचल सा लेकिन, नभ मैं है विस्तार कहा
मिलती होगी दौलत और शोहरत, पर तेरे जैसा प्यार कहा

कृते अंकेश

शब्द बिखरते रहे
गिरते रहे जमीन पर
बेसुध, बेहोश
भीड़ से भरे भवन में कवि के निशान मिटते गए
दूर वीराने में
कोई लिखता है
शब्दो को चुन कर
पिरोता है अक्षर से मोती छंदो में बुनकर
सजती है कविता उन पन्नो पर

कृते अंकेश
जल गया इश्क़
यादो की राख रह गयी

कृते अंकेश
युद्द एक आतिथ्य है
दुश्मन के सम्मान का
है एक प्रयोजन यह
भोज्य विषपान का
प्रेमवश योद्धा अरि स्वागत
करे अस्त्र शस्त्र से
मृत्यु भी आज हुई व्यस्त
जीवन के इस नृत्य से

कृते अंकेश

मौन सदा था तेरा उत्तर
लिखते थे तुम इंतजार
मुझे सिखाया समय ने लेकिन
तुमको बस करना ही प्यार

कृते अंकेश
जाओ तुम, ले जा सके जहा, तुमको यह आकाश
मुझको है विश्वास
मिलूंगा कही वहा ही पास
जहा होगा तेरा आवास
समय सजा ले अब चाहे फिर कितने ही वनवास
रहोगे तुम्ही सदा ही ख़ास
रहो चाहे जिसके भी पास

कृते अंकेश
लोकतंत्र का पहरेदार
अब मोदी अपना सरदार
सभी पडोसी देश साथ में
बजा रहे है ताल से ताल

नहीं जोड़ तोड़ का धंधा
नहीं खरीद फरोख्त व्यापार
सीधे सीधे अपने दम पर
लो आ गयी अपनी सरकार

कृते अंकेश
लोग भूल जाते है
रिश्तो के धागो की उलझन खुल ही जाती है
घनघोर घटा हो काली सुबह फिर भी आती है
पल के आवेशो में अखिया व्यर्थ भिंगाते है
लोग भूल जाते है

कृते अंकेश
दर्द कवि को पाला करता
प्यार उसे बहकाता है
कवि को खुशिया कभी न देना
इनसे कवि मर जाता है

कृते अंकेश

"Why the decision has been made in this way"...

When I reached there, she was lying on the bed. Her eyes were closed. A long plastic tube carrying medicine and glucose was going all over her chest and injecting everything into a tiny blood vessel of her left hand.

Not every time those blood vessels can be seen so clearly, part of it had swollen and making itself more visible.

"I do not want to be here, will you please take me away", her voice was shivering with pain or fever but she was directly looking into my eyes.

Before I could say anything, doctor came and asked me to move out as they were going to do some more investigation. I saw her and came out.

I met her two years before in an art exhibition, though she was not a participant yet she was carrying an album. Its cover page was a portrait of a woman holding an umbrella which was closed and she was looking at the drops of rain falling over her body. I went to her and asked if I could see the album. She happily gave it to me. Her all sketches were centered around a person and as if asking why the decision had been made in this manner. I too showed her my work, It was a piece of glass carved into a shape of a woman holding a child in one hand and a mudpot in another hand. Suddenly the same question popped up in my mind, "why the decision has been made in this way". After this we have met few more times and shared our works and contact details. Since last one year she never came to any exhibition. I thought of calling her some times but the idea used to get slipped from my mind due to some or other reasons. It was today when I got a call from the hospitals that shruti one of their patient is wishing to see me.

Ankesh Jain

नेताजी क्या हाल हुआ है
देखो इस स्टेट का
बना हुआ है अड्डा यह क्यो
मर्डर और रपे का

कहा बनेगा उत्तम प्रदेश
क्या उत्तम मतलब उजड़ा है
देखो समय अभी भी बाकी
गणित अभी न बिगड़ा है

कुछ तो सोचो, कुछ तो समझो
जनता को न बहलाओ
लल्लू अगर नहीं है काबिल
खुद ही कुछ कर दिखलाओ

कृते अंकेश
खिड़किया समय के परदे होती है, यह बिना समय गवाए बाहरी दुनिया तक पहुचने का एक माध्यम है, खिड़कियो के सहारे ही हम अपने अपने घरो अथवा कार्यालयो में बैठे रहकर ही बाहरी दुनिया से सम्बन्ध स्थापित कर लेते है, खिड़किया हमें वह दिखाती है जो हम देखना चाहते है। यह द्वार नहीं है जिससे बाहर जाने पर आप पूरी तरह से एक दूसरी दुनिया में आ जाते है, खिड़कियाँ आपको दूसरी दुनिया तक लेकर तो जाती है, लेकिन बिलकुल चुपचाप, एकदम गोपनीय तरीके से, आप चाहे तो किसी भी समय खुद को एक झटके में फिर से पहली दुनिया में खीच सकते है , वस्तुत: आप कभी शारीरिक रूप से दूसरी दुनिया में जाते ही नहीं है बल्कि आपके दृश्य पटल पर दूसरी दुनिया के अभिदृश्यो को उकेरा जाता है, शायद इसीलिए खिड़कियो का खुलना ज्ञान की अभिवृद्वि का प्रतीक माना जाता है । खिड़किया चाहे दीवारो में हो, तन में हो अथवा मन में हो, इनका खुलना हमारे ज्ञान क्षेत्र को विस्तृत बनाता है । समय के साथ साथ यह खिड़कियाँ भी विकसित होती गयी, रेडियो, चलचित्र, दूरदर्शन, इंटरनेट आदि खिड़कियो के आधुनिक रूप है जो हमें विभिन्न प्रकारो से दूसरी, तीसरी एक अनेको दुनियाओं से जोड़ते रहते है

कृते अंकेश

मुझे पत्तो में खुशबुओ को बटोरने की आदत है, पत्ते स्वभाभिकत: खुशबू को नहीं संजोते है लेकिन पुष्प के सानिध्य में रहकर वह खुशबू के भी साथी हो जाते है, वैसे जरूरी भी तो नहीं पुष्प सभी के हिस्से में आये। इन पत्तो की महक पुष्प के मिलने से कही अधिक मादक होती है क्यूंकि पत्ते पुष्प की तरह क्षणभंगुर नहीं होते, यह एक लम्बा जीवन जीते है

कृते अंकेश