Friday, April 22, 2011

उस बारिश में भीगा था मन 
अब तक पलको में पानी है
ख्वाइश तो पंख लगा उड़ने की थी 
लगता अब सब नादानी है

रेत में खीचे चित्र यहाँ 
पल भर के साथी होते है 
लहरो का जो साथ मिला
 बन सपनो के वासी होते है 

आँसू को  दोष भला क्यो दे 
उसकी  तो फितरत बह जाना 
पलको ने सब कुछ देखा था 
इनको तो था चुप रह जाना   

अब तो मन भी अपने पास नहीं
ख़ामोशी का बस साया है
आहट भी शोर सी लगती है
न कोई आता जाता है

ढलती शामो में डूब रहा
जीवन का यह बेरंग सा पल 
बारिश तो आती जाती है 
मन क्यो है इतना यह चंचल 

उस बारिश में भीगा था यह
अब तक पलको में पानी है
ख्वाइश तो पंख लगा उड़ने की थी 
लगता अब सब नादानी है

Saturday, April 16, 2011


महावीर स्वामी 

आज उदित था हुआ दिव्य एक 
त्रिशला नंदन राजकुमार
मगध प्रांत, वैशाली ग्राम में 
वर्धमान  था उनका  नाम 

नन्हे बचपन ने जीवन को 
अल्प काल में जान लिया 
वीस वर्ष की आयु में
असमंजस को पहचान लिया

उठी दिव्य सी आभा मन में
ज्ञान ज्योति को जला दिया
राग द्वेष बंधन को छोड़ा
निज अम्बर को उड़ा दिया

त्याग चले इस  मोह पाश को
जन्म मरण सब भ्रम  है जान
 धीर वीर महावीर नमन है 
दिया अहिंसा का जो ज्ञान

कृते अंकेश

Friday, April 08, 2011

कितना और सहेगे बोलो
किस कीमत की आज़ादी है
न्याय मागते  श्वांस  लड़ रही 
जीवन जंग  भी भारी  है 
यही भगत की राष्ट्र  भूमि है 
यही शिवाजी की शाला 
इसी माटी का एक पुत्र यह 
चला पहन अब वरमाला    
उस पग की छाया भी अब 
भ्रष्ट तंत्र का काल बनेगी 
इतने हलके में न लेना
कोटि पगो से राह पटेगी 
अभी  गुजारिश बस है इतनी 
इतनी हिम्मत दिखलाओ 
अन्ना जी की माँगो को 
शीघ्र स्वीकृति में ले आओ
कृते  अंकेश