Wednesday, July 02, 2014

रात भर जला शहर यू अपनी आग में
ढूंढती थी फिर सुबह क्या बचा है राख में
बनकर हवा थी उड़ गयी, रुप, वैभव और छवि
कोयलों के ढेर में आखो की नमी शायद बची
संभोग मे रत अस्थिया, गिद्दो की चौचो की नौकपर
क्षण में बदला हैं शहर, क्षणभंगुरता को छोड़कर

कृते अंकेश
"पीजा" एक बहुतायत से मिलने वाला एवं आसानी से खाया जा सकने वाला भोज्य पदार्थ है, पीज़ा आलसियो के लिए सर्वोचित भोज्य पदार्थ है, जहा समस्त भोज्य सामग्रियो को एक साथ पका कर दे दिया जाता है ताकि आपको अनुचित प्रयत्न नहीं करने पड़े , वैसे पीज़ा को इसके नाम के अनुरूप पीया नहीं वरन खाया जाता है, यह विरोधाभास इसके विदेशी नाम को यथावत हिंदी भाषा में सम्मिलित करने के कारण हुआ है , वैसे भी इससे खाने वालो को क्या फर्क पड़ता है कि नाम क्या है? और रही बात इसे खाने वालो की, तो आलसी लोग खाने का प्रयत्न कर रहे है, वही काफी है, हालाँकि बहुत से लोग इसे गले से नीचे उतारने के लिए शीत पेय पदार्थो का सहारा लेते है, जिसे देखकर संदेह होता है की कही वह इसके नाम पाश में तो नहीं फस गए है?

अंकेश जैन
Time is like a diode,
which restricts its flow in one direction
but like a real diode,
which however good it is
can allow some current to flow in the reverse direction
Similarly time for some of its entity
however strong they are
can sometime travels back through memories

Ankesh Jain



समय एक डायोड की तरह है
जो केवल एक दिशा में चलता है
पर जैसे एक वास्तविक डायोड में कुछ न कुछ रिवर्स करेंट बहती है
उसी तरह यादें हमें समय की धुरी पर फिर से अतीत में ले जाती है
हालांकि यह कमज़ोर होती है
और कभी कभी ही अपना प्रभाव दिखाती है

कृते अंकेश
गम की हिफाजत करो
यह हुनर बन कर छा जायेगा
पिघल आँसू बहा दोगे जो इसे
यह जीना भी व्यर्थ चला जाएगा

कृते अंकेश
इश्क अगर मुझको तुम तक ले जाये, तो अच्छा है
इश्क़ मगर अश्को में बहकर न आये, तो अच्छा है

कृते अंकेश
If the mountains are the biggest slice on earth's cake
Rivers are the nature's knife cutting its cake
And taking the soils to the plain
So that people can grow their grain
This feat is enjoyed by all
Sharing is a joy afterall

Ankesh
घनन घनन घिर घुमड़ घुमड़ घर घाट घने घुमड़त घुमड़त
बदरा बदलो बदकिस्मत, बेहकत बैचैन बना बालक बरवस
पवन प्यार पाती पत्तर, पत्तो पर पड़ता पानी पट पट
झड़ झंझावत झाड़ी झुरमुट झड़ झील झड़त झटपट झटपट

कृते अंकेश
कभी उलझकर मुझमे, कभी बिखरकर मेरे बिस्तर पर
कभी समेटकर मेरी पहचान को खुद में
मेरी आत्मा का निशान हो तुम
मेरे तन के प्रेमी ओ मेरे कपडे
मेरी भी जान हो तुम
तुमने ही जाना है मुझको
इतनी नजदीकी से
बिखरे हो तुम आकर मुझ पर
जब बिखरा में जिंदगी से
भूल थी मेरी जो ठुकराया तुमको
फिर भी तुमने अपनाया
झूमे थे तुम साथ ख़ुशी में
दुःख में आ अपनी बाहो में छिपाया
तुझ में छिपकर ही अब मेरी पहचान यहाँ है
ओ प्रिय नग्न मेरी देह तुझ बिन
इसका अभिमान कहा है

कृते अंकेश
हर बीता हुआ पल कुछ कह देता है
और छूटा हुआ प्रेम भय देता है
सपने अक्सर उलझते है, टूटते है
छूटते है रूठते है
रूठे हुए सपनो को जग सह लेता है
लेकिन छूटा हुआ प्रेम भय देता है
संगीत के तरानो पर
समय के फसानो पर
दोस्ती के अफसानो पर
मन अपनी उलझनो को कह देता है
लेकिन छूटा हुआ प्रेम भय देता है

कृते अंकेश
कविता लयबध्द हो
जरूरी नहीं तोड़कर बढ़ सकती है अक्षरो एवं मात्राओ की गिनती
एक विषय पर ही रहे जरूरी नहीं
बदल सकती है अचानक
जैसे प्रेमिका का इंतज़ार करता प्रेमी कल्पना करता है
उसके आने की, न आने की
यह कल्पना ही उसकी कविता है
बीतता हुआ समय उसके शब्द है
विश्व एक मंच और आते जाते लोग श्रोतागण
कविता तो स्वरो की साधना है
प्रार्थना है यह लेखक की
पूजा है कवि की
है कुछ अक्षरो का क्रम उसके लिए
जिसने नहीं जानी कभी इसकी हस्ती

कृते अंकेश
आँखे जिसे देखती है
परखती है, अपनाती है
उसकी ही होकर रह जाती है

कृते अंकेश
नीद अमीरो की दुनिया की जागीर नहीं होती
मिलती उसको भी जिसके सर छत नहीं होती
क्यो न भूख को भी हम ऐसी आज़ादी दिलवाएं
बिना भेद भाव के भोजन सब तक पहुचाएं
मनुज नहीं पाता है जीवन केवल क्षुदा को हरने को
खो देता है लेकिन जीवन भूख से लड़ने को
इस अनियंत्रित क्रम पर क्यो न कुछ तो रोक लगाये
बिना भेद भाव के भोजन सब तक पहुचाएं

कृते अंकेश
प्यार भी एक खेल है

प्यार भी फुटबाल की तरह होता है
एग्रेसिव स्ट्राइकर तुरंत स्ट्राइक लेते है
गोल करते हैं, चले जाते है
डिफेंडर या गोलकीपर जो खेल को बचाने की कोशिश में लगे रहते है
आखिर में गोल खा ही जाते है
और नासमझ दुनिया सिर्फ गोलो को गिनती है

कृते अंकेश