Sunday, November 03, 2013


मुझे तुम तक पहुचने से अब कोई नहीं रोक सकता
में तुम्हे देख सकता हूँ इन आँखों के बिना
में सुनता हूँ तुम्हे इन कानो के बंद होने पर भी
अगर काट दिए जाये यह हाथ फिर भी में
अपने ह्रदय से पकड़ ही लूँगा तुम्हे
मेरी आवाज़ पहुँच जायेगी तुम तक
भला काट ही क्यों न दिया जाये मेरी जिव्हा को
जला कर खाक ही क्यों न कर दिया जाये मुझे
मैं समाहित हो जाउंगा तुम्हारे अंदर
मुझे तुम तक पहुचने से अब कोई नहीं रोक सकता

कृते अंकेश

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