Thursday, November 21, 2013


और रो पड़ी वो उस रात
जब छोड़ गया बच्चा भी उसका साथ
नहीं सुनी गयी कोई दूसरी आवाज़
 गली का एक कुत्ता आ बैठा देहलीज़ पर चुपचाप

होती रही बरसात
नभ ने भी छलकाये आंसू बार बार
करती रही वो इंतज़ार
नहीं आया कोई अबकी बार

उसके हाथो में सिरहन थी उम्र की
एक थकान थी हताशा की, दुःख की
उसकी आँखों ने खाया था धोखा बार बार
छीना गया था उसका प्यार न जाने कितनी बार

कृते अंकेश

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