Friday, November 15, 2013


वह आते है यदा कदा
दिखाकर स्वप्न छोड़ जाते है हमें यहाँ
कहते है यह नरक में रहना तुम्हारी मज़बूरी है
और इसे  स्वर्ग बनाने के लिए हमें वहा चुनकर भेजना जरूरी है

पीढ़िया दर पीढ़िया
गुजरती  गयी यु ही
न तो नरक कि तस्वीर बदली और न ही स्वर्ग कि उम्मीद बंधी
अब हमें छोड़ना होगा देखना सपना
जब मिला ही नहीं स्वर्ग तो वो काहे का अपना
हम  नरक के फूल है यही खिलेंगे
स्वर्ग की आकांक्षाओ  पर अब नहीं मिटेंगे
करेगे श्रम और सजायेंगे सपना
होगा नेतृत्व अब सिर्फ अपना

कृते अंकेश

No comments: