Sunday, April 27, 2014


इस अंधियारे युग में तुम जिसे प्रकाश समझते हो
वह तो एक दावानल है
अभी तुम्हे जगमगाहट दे रही है
लेकिन दूर नहीं दिन
जब वो सब कुछ जला जाएगी
जो लोग तुम्हे इससे दूर जाने को कहते है
समझो कि  वो तुम्हारे शुभचिंतक है
वैसे इतना आसान भी नहीं है
प्रकाश को छोड़कर अन्धकार में जाना
लेकिन जो प्रकाश तुम्हे अनायास मिला है
वह तुम्हारा कैसे हो सकता है
समझो की यह मात्र भ्रम है
चेतो इससे पहले कि तुम्हारी चेतना शून्य  हो जाए

कृते अंकेश

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