Saturday, April 19, 2014

कहू किसे यो मन की बात
सभी सखी कान्हा के साथ
क्या कान्हा रूठे है मुझसे
कौन बतावे मुझको आज
बंसी आज तुझे नहीं कोसू
तू ही श्याम का ध्यान बटा
इन गोपियो के जमघट से तू
मेरे कान्हा को मुक्त करा
फिर चाहे तू ही कर लेना
उसके अधरो पर अधिकार 
व्याकुल मन की पीड़ा को पर
हर ले ओ मुरली तू आज

कृते अंकेश

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