Saturday, April 19, 2014


हैं मनोहर नग्न पीड़ा
आसुंओ का आघात भी
विष के प्याले है सुखोदर
और घृणा का साथ भी

हार में भी है मजा और
मूल्य तिरस्कार में
मिलते है अनुभव अनोखे
हुए दुर्व्यवहार में

लेकिन रहे है जो अभी तक
सीमा में स्नेह और प्यार की
जानते है क्या वो सीमा
इस अनोखे संसार की

कृते अंकेश

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