Saturday, April 19, 2014

क्या सुन सकोगे गीत मेरा
ला नहीं पाया संगीत निरा
मांगू कैसे यहाँ मधुरता
जब फैली है निष्ठुरता

कह दे कोई उपवन है मेरा
सीचा इसको बस प्रेम से था
उजड़ा कैसे फिर घर यह मेरा
शत्रु परिचित उपवन में ही था

में आज भी लेकिन गाऊंगा
फिर गीत नयी उम्मीदो का
है सीखा मैंने जग से इतना
मुस्कानो को मिलने दो मौका

कृते अंकेश

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