Saturday, April 19, 2014


छोड़ न साथी साथ अभी
लम्बी है यह रात अभी
अधियारे मे कौन कहाँ
जाए बिछुड़ न चले पता
कुछ सभ्हले जो रात अगर
बनती हो जो बात अगर
फिर सुन लेना मुझको भी
कह देना जो दिल में थी
शायद हम जिद छोड़ भी दे
सपनो का रूख मोड़ भी दे 
तब तक आ खामोशी पी
यह पल भी मैरे साथ ही जी

कृते अंकेश

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