Wednesday, January 30, 2013

उदास चेहरा लिए वह मेरे पास आया 
और बोला क्या सुना सकते हो कोई ऐसी कविता 
जिसमे छिपा हो दर्द मुझसे भी ज्यादा 
या छलकते हो आंसू जिन शब्दों से इन आँखों की तरह 
यह कह कर वो मुस्कुराया 
मैंने उसके चेहरे की तरफ देखा
और इससे पहले की मैं कुछ कहता वो हँसा
खिलखिलाकर हँसा और बोला
आसान है सजाना शब्दों को और सुना देना दुनिया को
तुम्हारी छोटी सी कविता इनकी मुस्कुराहटो से कई ज्यादा हसेगी
लिख सकते हो तो लिखो कोई ऐसी कविता
जो इनके दर्द को भी पीछे छोड़ जाये
समेट ले आहे सभी की
कि रोने के लिए फिर से किसी के पास आंसू तक न बचे
कर सकते हो तो कर दो छंदबद्ध वह पंक्तिया
जो कर ले समाहित सभी दर्द को
और फिर भूल जाये हम वो पंक्तिया
भूल जाये हम की कैसे होता है रोना

कृते अंकेश

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