Saturday, January 05, 2013

कहते है लोग मिले उनको अब फासी 
अपराधी है मानवता के वो सत्यानाशी 
पीड़ित है उनसे यह जीवन कोप भवन है 
उन दुश्क्रत्यो के चर्चो से रोष बहुत है 
लेकिन बढती ही जाती उन अंको की सीमा 
हतप्रभ हूँ में सोच क्या इंसानों ने छोड़ा जीना 
क्या कत्लेआम ही सचमुच इसका हल है 
क्या सचमुच यह समस्या इतनी सरल है 
कानून के दम से क्या सच में अपराध रुकेंगे 
पैशाचिक मानव के दंभ झुकेंगे 
अगर प्रयत्न करना है तो पहले पालो मानव को
करो हतोत्साहित जीवन के हर एक दानव को

कृते अंकेश

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