Thursday, January 16, 2014

रात गगन में चॅाद जो आया 
लगा मुझे कि तुम आये हो 
चमगादड़ जो उड़ी अचानक
लगा कि जुल्फे लहराये हो

साय साय जब हवा थी चलती
लगता कि तुम गीत हो गाते
आसमान में बिजली चमकती
लगता मानो तुम मुस्काते

हाल ही न पूछो मेरा क्या
में तो पागल पहले से हूँ
रही सही जो सासे शेष थी तन में
खोकर उनको अब गुमसुम हूँ

कृते अंकेश

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