Wednesday, January 01, 2014


जिनकी रही खुशिया अधूरी
उनको खुशियो का भण्डार दे
जो रहे खुशियो से लथपथ
उनको फिर ख़ुशी इस बार दे

जो रहे सपने सजाते
उनको सपनो का संसार दे
जो हकीकत को थे  बनाते
उनको वक़्त फिर इस बार दे

सोचते जो सबका भला
उनको बढ़ा एक  बार दे
संसार सुन्दर सा सजा हो
नववर्ष ऐसा इस बार दे

कृते अंकेश

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