Saturday, January 18, 2014

मृत्यु श्रापित है 
जीवन से न मिलने के लिए 
जीते है लोग मृत्यु से अनभिज्ञ 
जबकि देती है वो पहरा जीवन के छोर पर 
कहते है कुछ लोग मृत्यु को भी चकमा देते है 
आसान नहीं होता है मृत्यु के लिए हर बार जीवन के पास आना 
इसीलिए करती है वो इंतज़ार टूटती साँसो का 
और करती है छिपकर वार 

जीवन मात्र शरीर नहीं 
जीवन आपका अस्तित्व है
जब तक यह अस्तित्व शारीरिक है
यह क्षयित होता रहता है
और एक दिन मृत्यु इसको अपना भोग बना लेती है
लेकिन मनुष्य को सामर्थ्य है अपने अस्तित्व को शारीरिक से वैचारिक बनाने की
और विचार तो अमर है
मृत्यु क्या समय भी उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकते
बस इसी तरह कुछ लोग अमर हो जाया करते है

कृते अंकेश

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