Sunday, February 23, 2014


सुन्दर छवि या मोहक चेहरा या मुस्कान निराली
तेरे इन रूपो पर कवियो ने कितनी कविता लिख डाली
आज नहीं पर मेरी कविता तेरे रूप के गुण गायेगी
नहीं आज यह फिर से तेरी मोहकता पर इठलाएगी

आज समर्पित कविता उनको जो नहीं रूप को गाती
सौम्य, चातुर्य और चरित्र से जिनकी सुंदरता आती
संघर्षो का जीवन जीती जो रह दूर  किसी स्वप्न महल से
दुःख के सायो में भी चलती बिन हारे अपने कल से

उनके जीवन की  करुणा में जग का  सौन्दर्य छिपा है
उनके जीवन के आवेशो में जग का जोश छिपा है
उठकर आती अपने दम पर, अपना अस्तित्व है रखती
इस कविता की नायिका है वह , नहीं किसी पत्रिका की युवती

कृते अंकेश

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