Wednesday, February 12, 2014


प्रेम खोलता है सपनो को
प्रेम जोड़ता है अपनो को
प्रेम सुबह प्यारी सी लाता
प्रेम रात्रि शुभ कहता जाता
प्रेम हँसा करता होठो पर
प्रेम खिला करता चेहरो पर
प्रेम नहीं वैचारिक पुस्तक
प्रेम नहीं अनजानी दस्तक
प्रेम नहीं है व्याधि भारी
प्रेम नहीं है जिम्मेदारी
प्रेम का केवल परिचय इतना
मैंने तुमको समझा अपना

कृते अंकेश

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