Saturday, February 15, 2014


सुन रही हो क्या वो तुम
जो कहती खामोशी मेरी
मौन बनकर ढूढ़ती यह
बात दिल की अनकही
ला सकोगी क्या मुझे फिर
पास तुम दिल के मेरे
कह सकोगी शब्द क्या वह
अब तक रहे जो अनकहे
यू इस अधूरे गीत का
प्रस्ताव तुम तक बुन रहा
इक ध्वनि की आस में
फिर से खामोशी चुन रहा

कृते अंकेश

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