Tuesday, October 29, 2013


क्या कही देखा है तुमने
उन घुंघराले काले  बालो को
इस जीवन में आस जगाकर
सूने  मन में प्यास जगाकर
आँखों की परिधि में जाकर
जल के स्त्रोत बहाने  वालो को
क्या कही देखा है तुमने
उन घुंघराले काले  बालो को
या निष्ठुर यह खेल है उनके
आँखे तकती जिनके सपने
सपनो को ठुकरा कर पल में
छोड़ साथ  जाने वालो को
क्या कही देखा है तुमने
उन घुंघराले काले  बालो को

कृते अंकेश

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