Friday, October 04, 2013


असफलता तो पतझड़ है
फिर बसंत को आना है
रहा अधूरा जो भी सपना
वह पूरा हो जाना है

पैरो के यह छाले देखो
बाधा नहीं बनेगे अब
किया प्रयत्न अधूरा चाहे
हिम्मत मुझको देंगे सब

मंजिल मेरी दूर सही
लेकिन जीत सुनिश्चित है
मंत्र यहाँ बस चलते रहना
बस इतनी ही जरूरत है

कृते अंकेश
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