Wednesday, February 22, 2012

This is a beautiful poem "The address" written by "Sohrab Sepehri" . I have gave a try to translate it in hindi from its english translation. I have changed some part to make it in rhyme but tried to keep the essence same. Hope I have done my job satisfactorily.

Writer - Sohrab Sepheri
Translator in Hindi - Ankesh Jain 

क्या बता सकते मुझे हो
है कहा मेरा प्रिये
देख उषा की किरण को
पूछता व्याकुल हुए

सुनते ही यह बात मेरी
 मौन हो गया आसमा
शोकमय बादल घिरे
और टूटता तारा वहा

राही ने भी छोड़ दी
हाथो से अपने वो छड़ी
जिसके सहारे था चला
अब रेत में धूमिल पड़ी




फिर अचानक से किसी ने
कोई उत्तर था दिया

"देखते हो दूर क्या तुम
पेड़ वो अडिग सा रहा
ठीक उसके ही पहले
रास्ता एक जायेगा
होगा हरियाली से भरा
स्वर्ग जैसा ही नज़र आएगा
सुख और प्रेम की वहा
कोई भी न कमी होगी

देख जो तुम सके यदि

अच्छा फिर चले जाना वही
सीधे उसी पथ पर
पहुच जाओगे तुम कही
एक सुन्दर बगीचे पर
भावो से होगा यह भरा
जीवन वहा विश्रांत होगा
देखना फिर वही कही
एक झील का किनारा शांत होगा
ध्यान से सुनना वहा
पत्तियों के स्वर निराले
देखना मग्न होकर
बह रहे फब्बारे प्यारे
बहते है जो प्राचीनता के
असंख्य रहस्यों से
डूब जाना उन स्वरों में
जब तक नहीं कोई भय लगे

जब कोई शोर फिर
आकाश में हो बिखरता
पाओगे तुम वही कही
एक  पेड़ पर छोटा सा बच्चा
पास ही एक घोसले को
रहा होगा वो निहारता
स्वर्ण के अन्डो की आशा में
समय अपना गुजारता

देख जो तुम सको यदि

इतना मुझ पर विश्वास करना
उस बच्चे से बात करना
वह अबोध है वह सच्चा है
वही तुम्हे राह दिखायेगा

यदि
तुमने
सच में मुझसे अपनी प्रिये का पता पुछा है यदि !!!

  

   
  

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