Sunday, February 19, 2012

कुछ थी हकीकत
कुछ था तमाशा
शायद रही कोई
छोटी सी आशा
सपना था कोई
या फिर सयाना
दिल ही रहा होगा
कोई दीवाना


वरना यह दिल फिर किसे ढूंढता है
नहीं सामने जो किसे ढूँढता है
वरना यह दिल फिर किसे ढूंढता है
नहीं सामने जो किसे ढूँढता है



सपनो के बादल
भी लगते निराले
जिसको यह चाहे
अपना बना ले
इनको पता क्या
है क्या हकीकत
इनको कहा मिलती
इतनी ही फुर्सत



यह तो सदा उनको सपनो में ला दे
नहीं जो भी मेरा वो मेरा बना दे
वरना यह दिल फिर किसे ढूंढता है
नहीं सामने जो किसे ढूँढता है

तुम भी कभी
और हम भी कभी
शायद रही होगी
उलझन यही

वरना यह दिल कब कहा हार माने
हजारो हो कोशिश नहीं फिर भी हारे
न जाने यह किसे ढूंढता है
है वो कहा यह जिसे ढूँढता है
न जाने यह किसे ढूंढता है
है वो कहा यह जिसे ढूँढता है

कृते अंकेश

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