Sunday, December 25, 2011

ओ हेनरी कि कहानी से प्रेरित 

मिस्टर शाह  काम के अम्बार से परेशान थे
कभी देर से बजते टेलीफ़ोन  को उठाते
तो कभी कंप्यूटर की स्क्रीन को देख चकराते
ऑफिस का यह व्यस्ततम  महीना था
और मिस्टर शाह से काबिल वहा दूसरा कोई नहीं था
इतने में जूली ने फाइलों का ढेर लाकर मेज़ पर रख दिया  
और बॉस की उस पर्सनल  सेक्रेटरी के कपड़ो से आती सुगंध ने मिस्टर शाह का ध्यान भंग कर किया
लेकिन आज जूली के अंदाज़ में कुछ परिवर्तन था
और चंचल सी दिखने  वाली उस  लड़की के व्यव्हार  में गंभीरता का पुट था
वह आई और एकदम शांत होकर अपनी कुर्सी पर बैठ गयी
और दोपहर देर तक बिना यहाँ वहा जाये वही बैठी रही
जब दोपहर बाद गार्ड अंदर आया
तो जूली ने उसे बुलाया और पूछा
क्या नयी सेक्रेटरी के लिए अभी तक कोई आया
यह सुन मिस्टर शाह चोके
गार्ड ने कोने में पड़ी कुर्सी की और इशारा किया
और शायद जूली और मिस्टर शाह दोनों ने एकसाथ उस कुर्सी की और अपना ध्यान किया
और पता नहीं क्या हुआ की उसके बाद मिस्टर शाह को न तो बजते हुए टेलीफ़ोन की फिक्र रही
और न ही कंप्यूटर स्क्रीन की और उनकी  निगाह गयी
जूली उस नयी लड़की को देखते ही मायूस  हो गयी
इससे पहले कि चपरासी बॉस के केबिन में जाता
बॉस बाहर आये और जूली को आने वाले सप्ताह में करने वाले सारे काम बताये
जूली कुछ पूछ  पाती कि चपरासी  बोला
सर वीं टाइम वालो ने नयी  सेक्रेटरी को भेज दिया
यह सुन बॉस ने शंकित होकर कहा
मैंने कब नयी   सेक्रेटरी  के लिए बोला
जाओ उसे वापिस जाने के लिए बोलो
और मेरे केबिन में जोह्न्सोंस की फाइल भेजो 
कोने में कुर्सी पर बैठी वह लड़की चपरासी का सन्देश सुन कर चलने के लिए उठी
बाहर जाते हुए रास्ते में  मिस्टर शाह की मेज़ भी पड़ी
फाइलों में खोया जवान अभी तक पता नहीं किन खयालो में खोया हुआ था
की उसे उस कन्या के आने या जाने का पता ही नहीं चला
बाहर जाते हुए जब उस लड़की ने चपरासी को उसके सहयोग के लिए धन्यवाद् कहा
और उस मधुर स्वर ने मिस्टर शाह को उनकी काल्पनिक दुनिया से बाहर किया
वह बोले "में यह कर कर ही रहूँगा"
वह तुरंत बाहर गए
उनके हाथ में अभी भी पेन और कुछ कागज़ थे
लड़की अभी गेट के पास ही थी
मिस्टर शाह ने उसके सम्मुख जाकर कहा
मुझे आपका नाम भी नहीं पता
और मेरी जिंदगी व्यस्तता से भरी हुई है
मेरे पास बिताने के लिए बस एक क्षण है
और में उस क्षण में आपसे प्रेम करता हूँ
यह क्षण मैंने उन लोगो से चुरा लिया है
वहा वह मेरा इंतज़ार कर रहे है 
लेकिन यह क्षण बस मेरा है
और मैं यह आपको  दे रहा हूँ 
वह लड़की स्तब्ध थी
मिस्टर शाह बोले
क्या आप इतना भी नहीं समझती 
क्या आपको प्रेम का अर्थ नहीं पता  
मैं आपसे विवाह करना चाहता  हूँ
 पहले तो उस लड़की ने अजीब सा व्यवहार किया
फिर वह मुस्कुरायी
उसने अपनी बाहों को मिस्टर शाह के कंधे में डाला
और बोली पहले तो में शंकित थी
लेकिन अब सब कुछ ठीक है
क्या तुम भूल गए
पिछली शनिवार को हम दोनों ने उस चर्च  में विवाह किया था
और मुझे डर था कि काम में तुमने मुझे बिलकुल भुला दिया था

  
अंकेश Jain

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