Wednesday, December 07, 2011

नशा 

तुम्हारी कविताओ में कुछ भी तो नहीं मिलता
उसने कहा
और चाय का प्याला पकड़ा दिया
देखो इस चाय की सुंगंध को
क्या ला सकते हो इसे अपनी कविताओ मैं
मैं जब भी लेता हूँ इसकी चुस्कियां
देती है एक स्फूर्ति का आनंद
वह बोला,
मेरे  दोस्त
जिसे तुम आनंद कहते हो
वह तो मात्र एक नशा है
और आप बस उसी नशे में खो जाते हो, मैंने कहा,
तो क्या आपकी कवितायेँ किसी नशे से कम है,
क्या आप नहीं खो जाते है इनमे
उसने चाय का प्याला मेज़ पर रखकर कहा 
हकीकत तो यह है यहाँ सभी नशे के शौक़ीन है
बस सबकी पसंद अलग अलग है

कृते अंकेश


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