Wednesday, December 28, 2011

आहिस्ता हर पल गुज़र गया
देखो अब यह भी साल चला
कुछ हलचल लाकर कभी गया
खामोश कही  यह चला गया 

 सपनो के बादल बने कही

खुशियों की बारिश हुई कही 
कुछ राहे खोयी रही यहाँ 
अनजान किनारा कही मिला 

सुधबुध थे जो अपने सपने  में
जिनकी किसको भी फ़िक्र नहीं
वो राजमंच  पर आ चमके
उनसे सत्ता भी डरी हुई  

कुछ ने ठोकर खा सीखा चलना
कुछ को यह चलना सिखा गया

जो  भटके  थे इस वीराने में
उनको मंजिल यह बता गया

आभार तुम्हारा है हर पल
जो कुछ भी तुम दे जाओगे
है वही सम्पदा अपनी तो
ले  नए वर्ष  में जायेंगे

कृते अंकेश

No comments: