Sunday, December 04, 2011

स्वप्न है मेरा यह जीवन
कल्पना मेरी ही है
दिख रहा जो शांत सम्मुख
स्वप्न की कर्णभेरी  है
बस सजाता कल्पनाएँ

स्वप्न से श्रृंगार करता
अज्ञात हूँ सुख से दुःख से
स्वप्न में ही प्यार करता
कुछ अधूरे  कुछ अनोखे
बहुप्रतीक्षित स्वप्नों की ढेरी
कल्पनाओ से सजी है
बस यहाँ दुनिया यह मेरी

कृते अंकेश

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