Friday, September 02, 2011


 रात को अब जाना ही होगा 
 
 कह दो उनसे जो सोये है
 सपनो के बादल में खोये है
निशा के मद में डूब कही
 जो जीवन रंगों में खोये है

 इस प्रहर को अब ढल जाना होगा
 रात को अब जाना ही होगा

ओ चंचल चन्द्र चांदनी
चातक चिंता में है डूबा
इन  किरणों के भ्रम में शायद
स्वाति तेरा मोह भी छूटा

उन किरणों को लेकिन अब ढल जाना होगा
रात को अब जाना ही होगा

कृते अंकेश 

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