Wednesday, July 02, 2014

नीद अमीरो की दुनिया की जागीर नहीं होती
मिलती उसको भी जिसके सर छत नहीं होती
क्यो न भूख को भी हम ऐसी आज़ादी दिलवाएं
बिना भेद भाव के भोजन सब तक पहुचाएं
मनुज नहीं पाता है जीवन केवल क्षुदा को हरने को
खो देता है लेकिन जीवन भूख से लड़ने को
इस अनियंत्रित क्रम पर क्यो न कुछ तो रोक लगाये
बिना भेद भाव के भोजन सब तक पहुचाएं

कृते अंकेश

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