ankesh_writes
Sunday, December 15, 2013
सो रही थी एक सुबह
रात भर देखा नहीं
जागकर दिन चल पड़ा
और इसका कुछ पता नहीं
सांझ भी गायब रही
दिन ने उसकी राह तकी
थककर जब वो चल दिया
रात आती हुई मिली
क्या हुआ था विश्व को
सब कुछ अचानक हो रहा
दिन बदल रहा रात को
और सुबह को खो रहा
कृते अंकेश
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