Sunday, August 28, 2011

छूटकर जो रास्ते से मैं किनारे पर खड़ा था
हाथ मेरा थाम वो ले फिर मुझे बस चल दिया था
जीत या  हार तो लगने लगे बस अब बहाने
सेकड़ो की भीड़ में  जो है मिले कदम जाने पहचाने

कृते अंकेश 


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