Thursday, August 18, 2011

  बादल को घिरते देखा है
   तूफा  की आहट से मैंने  बस्ती को  जुड़ते देखा है
  फिर भी जो  सोया क्या बोले
  शायद सोचेगा कल, सपनो ने भी उडान भरी
  लगता आज उसे  जो धोखा  है
  बादल को घिरते देखा है
कृते अंकेश



No comments: