Thursday, January 12, 2012

बच्चे
तुम रोते क्यों हो
तुम हसते हो तो ज्यादा अच्छे लगते हो
लेकिन शायद तुम्हे पता है
कि लोग  सिर्फ तुम्हारी और देखेंगे, मुस्कुराएंगे और फिर चले जायेंगे
यदि तुम बस  हसते रहोगे
कितने चालाक हो न तुम 
लेकिन इसमें दोष तुम्हारा कहा  है
यहाँ भावनाए तो तभी समझी जाती है न
जब वह  टूट कर शरीर से बिखरने लगती है
चेहरा जब  उन्हें और नहीं छिपा पाता
और अंतरपीड़ा आँखों में  उभर आती  है
तभी तो जग को तुम्हारी याद आती है
मैं नहीं रोकूंगा तुम्हे रोने से
क्योंकि  आज नहीं है मेरे पास साधन तुम्हे हँसाने का
लेकिन मेरे बच्चे बहुत जल्दी तुम्हे सीखना होगा
चुप होना
क्योंकि व्यस्त संसार को तुम्हारा क्रंदन शीघ्र ही ख़ामोशी सा लगने लगेगा
और तब तुम्हारे रोने का भी मकसद नहीं रह जायेगा

कृते अंकेश

3 comments:

Priyanka said...

ab to shabd kam padne lage hain tareef ke

Unknown said...

Thank you mam.... bas aapka hosahla milta rahega to aise hi likhta rahoonga... :-)

Manish said...

Bahut hi achchhe... rachna ka vishay aur rachna dono ke liye "Ati-uttam" :)