Monday, October 17, 2011

मत कहो है पथ असंभव
व्यक्तिगत मत है यदि तो व्यर्थ है इसको बताना
है  समय अपना  गवाना
क्या हुआ जो छाया अँधेरा
आकाश में है  व्याप्त कोहरा
सूर्य भी दिखता न है
क्या करेंगे देखकर
देखा उसे सहस्त्रो ने है
हमको तो आगे है  जाना
मत कहो है पथ असंभव

कृते अंकेश







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