Sunday, June 26, 2011

परिवर्तन 

शहर उसके लिए नया नहीं था | शहर की ऐसी ही गलियों में खेलकर तो वह  बड़ा हुआ था | जाने कितने साल इस  मिटटी से वह खुद को रंगता रहा | लेकिन वह  उसका बचपन था, शायद ही कभी उसने चीजों के पीछे छिपी वास्तविकता को तलाशने की कोशिश की होगी,  उसे क्या पता वह जो करता था  उसका क्या परिणाम होगा ?  उसने यह शायद कभी सोचा ही नहीं |  उसने तो वही किया जो उसे अच्छा लगा | लेकिन आज वह उस बचपन से बहुत दूर है, शहर पहले  जैसा तो क्या आज वो बदल गया है |

कृते अंकेश

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