Sunday, June 01, 2014


मुझे पत्तो में खुशबुओ को बटोरने की आदत है, पत्ते स्वभाभिकत: खुशबू को नहीं संजोते है लेकिन पुष्प के सानिध्य में रहकर वह खुशबू के भी साथी हो जाते है, वैसे जरूरी भी तो नहीं पुष्प सभी के हिस्से में आये। इन पत्तो की महक पुष्प के मिलने से कही अधिक मादक होती है क्यूंकि पत्ते पुष्प की तरह क्षणभंगुर नहीं होते, यह एक लम्बा जीवन जीते है

कृते अंकेश

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