Sunday, June 01, 2014

खिड़किया समय के परदे होती है, यह बिना समय गवाए बाहरी दुनिया तक पहुचने का एक माध्यम है, खिड़कियो के सहारे ही हम अपने अपने घरो अथवा कार्यालयो में बैठे रहकर ही बाहरी दुनिया से सम्बन्ध स्थापित कर लेते है, खिड़किया हमें वह दिखाती है जो हम देखना चाहते है। यह द्वार नहीं है जिससे बाहर जाने पर आप पूरी तरह से एक दूसरी दुनिया में आ जाते है, खिड़कियाँ आपको दूसरी दुनिया तक लेकर तो जाती है, लेकिन बिलकुल चुपचाप, एकदम गोपनीय तरीके से, आप चाहे तो किसी भी समय खुद को एक झटके में फिर से पहली दुनिया में खीच सकते है , वस्तुत: आप कभी शारीरिक रूप से दूसरी दुनिया में जाते ही नहीं है बल्कि आपके दृश्य पटल पर दूसरी दुनिया के अभिदृश्यो को उकेरा जाता है, शायद इसीलिए खिड़कियो का खुलना ज्ञान की अभिवृद्वि का प्रतीक माना जाता है । खिड़किया चाहे दीवारो में हो, तन में हो अथवा मन में हो, इनका खुलना हमारे ज्ञान क्षेत्र को विस्तृत बनाता है । समय के साथ साथ यह खिड़कियाँ भी विकसित होती गयी, रेडियो, चलचित्र, दूरदर्शन, इंटरनेट आदि खिड़कियो के आधुनिक रूप है जो हमें विभिन्न प्रकारो से दूसरी, तीसरी एक अनेको दुनियाओं से जोड़ते रहते है

कृते अंकेश

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