Wednesday, December 05, 2012

में हर एक पल में जीता हूँ 
में हर एक पल में मरता हूँ 
हर पल मेरा एक सपना है 
में सपना पूरा करता हूँ 

में पंखो को फैलाता हूँ
में आसमान में उड़ता हूँ
में दूर गगन तक जाता हूँ
में तारो से भी मिलता हूँ

में जीता हूँ मुस्कानों में
में अश्को में भी घुलता हूँ
में चलता हूँ खुशियों के संग भी
में अफसोसो में पलता हूँ

मेरे साए में जीत छिपी
मैं हारा भी तो करता हूँ
लेकिन उठता फिर फिर चलता
में नहीं कभी भी डरता हूँ

कृते अंकेश

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