Thursday, August 09, 2012


ओ सलोने सांवले तकते नयन तुझको यहाँ
बावरी है गोपिया है बावरा यह बृज हुआ 
ओ यशोदा लाल तेरी बासुरी बजती कहा 
है कहा वो नन्द का आँगन था खेला तू जहा 
ढूंढती अंखिया तुझे ही 
श्याम मेरे हो कहा 
देख तेरे ही तो स्वागत में सजा  है यह जहा 


"जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाये"

अंकेश 

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