Sunday, August 19, 2012

भारत जिसे हो कहते 
जो देश है हमारा 
सदियों से जिसने सबको 
बस है दिया सहारा 
कोई नहीं पराया 
यहाँ सब हुए है अपने 
सबने सजाये मिलकर 
जिसके थे जो भी सपने 

जो कर रहे है हिंसा 
इतिहास से बेखबर है 
पिघले अशोक जैसे 
भी दिल कभी इधर है 
शस्त्रों को यु तो हमने 
है नहीं कभी सराहा 
लेकिन मद में मादित 
आक्रामको को  छकाया

ओ मद में मादित मुसाफिर 
क्यों घर को ही तोड़ते हो 
चंद स्वार्थियो के बहकावे में 
इंसानियत छोड़ते हो
यह हिंद है तुम्हारा 
यह हिंद है हमारा 
आओ संभाले इसको 
हिंदोस्ता है प्यारा 

कृते अंकेश 

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