Wednesday, August 29, 2012

कौरवो की सुन व्यथा 
यमराज भी रोने लगे
पांडवो की ध्रस्टता पर 
धैर्य वो खोने लगे
तुम सैंकड़ो और वो पांच थे 
फिर भी सदा लड़ते रहे
धर्म का इस कदर 
अपमान वो करते रहे
क्या हुआ  जो यदि 
राज्य  तुमने ले लिया
राजधर्म था यही 
जो  तुमने किया 
छल कपट तो सदा 
नीति राजधर्म है
एक नारी पांच नर
क्या यह सत्कर्म है 
 मत निराश हो पुत्र 
शेष हूँ मैं अभी 
न्याय धर्म और सत्य की 
आस  शेष है बची 

कृते अंकेश 

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