Thursday, July 19, 2012

आखिरी    उडान

बाबूमोशाई, एक आवाज़, जो आज भी कानो में गूजती हुई सजीव लगती है, आनंद, सिनेमा  का एक किरदार मात्र न होकर व्यक्तित्व का परिचायक हो गया, वो हसने का अंदाज़, जिसे दर्द की मानो भनक भी नहीं है और जो सत्य से डटकर सामना करने को तैयार है | अभिनय का वो निराला अंदाज़, जहा अभिनेता की पहचान उसके किरदारों से होने लगे, निसंदेह एक बेहतरीन अभिनेता की निशानियाँ है | आनंद का आनंद जहा जीवन से कभी नहीं हारता है तो अमर प्रेम का आनद एक हारे हुए जीवन को जीता है, लेकिन दोनों ही किरदार जीवन को सशक्त  रूप से जीने की एक बेहतरीन मिसाल देते है | स्वर बदलते गए,  लेकिन ह्रदय के भावो को चेहरे के अनुभावो मात्र से व्यक्त करने की प्रतिभा में निपुण   राजेश खन्ना अपने हर किरदार में एक नयी जान डालते चले गए | भारतीय सिनेमा जगत के प्रथम महानायक का सम्मान उन्हें उनकी इसी प्रतिभा के फलस्वरूप मिला | सिनेमा जगत एवं दर्शक जगत उनके इस योगदान का सदेव ऋणी रहेगा |

No comments: