Sunday, July 01, 2012

किसका स्वागत करती रहती
है चंचल मुस्कान तुम्हारी
किन अधरों को जाकर तरती
है चंचल मुस्कान तुम्हारी
किन स्वप्नों में जीवन भरती
है चंचल मुस्कान तुम्हारी
किन अंखियो में जाकर हसती
है चंचल मुस्कान तुम्हारी

छूकर जाती मेरे मन को
है चंचल मुस्कान तुम्हारी
विस्मृत कर जाती नैनों को 
है चंचल मुस्कान तुम्हारी
आभादीप्ति बन चेहरे पर  इतराती
है चंचल मुस्कान तुम्हारी
मेरे जीवन में घर कर जाती
है चंचल मुस्कान तुम्हारी

कृते अंकेश

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