Saturday, March 24, 2012

ओ रे सैयां तोरे  बिना
जागी रही मोरी अखियाँ
ओ रे सैयां तोरे  बिना
जागी रही मोरी अखियाँ
ओ रे सैयां

शाम होने लगी ओझल
रात ने ली है करवट बदल

तारे ओढ़े हुए चांदनी
है फिजा में घुली रागिनी
कहा हो तुम
कहा हो तुम
कैसे ढूढु तुझे इस तरह
ओ रे सैयां तोरे  बिना
जागी रही मोरी अखियाँ
 ओ रे सैयां   


है निशा भी कही ढल रही
है  फिजा भी बदल सी रही
कही गुमसुम, मगर फिर हम
दूंढ़े तुझको ही बस  इस तरह   
ओ रे सैयां तोरे  बिना
जागी रही मोरी अखियाँ

 ओ रे सैयां   


भोर की भी है आहट हुई
या है यह शरारत कोई
मगर तुझ बिन मेरे हमदम
नहीं जीने में है कुछ मज़ा
ओ रे सैयां तोरे  बिना
जागी रही मोरी अखियाँ

 ओ रे सैयां   ...............


कृते अंकेश 

No comments: