Friday, March 09, 2012

उन्मुक्त हूँ मैं
देखना उड़ जाऊँगा एक दिन
इन बन्धनों से
नहीं बाँध सकेंगे यह पिंज़रे मुझे
मेरी कल्पनाये
मुझे ले जाएँगी दूर
मेरी मंजिलो तक
आभारी हूँ तुम्हारा
जो तुमने दिया सहारा
पर चलना होगा मुझको फिर से
पाने   नया किनारा
उन्मुक्त हूँ मैं
देखना उड़ जाऊँगा एक दिन
 
प्रयत्न करूंगा
अंतिम साँसों तक प्रयत्न करूंगा
अथवा आने दो उस मृत्यु को
उसको भी आलिंगनबद्ध करूंगा
लेकिन नहीं बंधन में  रहने वाला
 उन्मुक्त हूँ में
देखना उड़ जाऊँगा एक दिन  

 श्रंगार, वियोग, हास्य, जुगुप्सा
जीवन मेरा स्पष्ट अश्रु सा
जो लगा अनुचित
उसको पल भर में छोड़ा

शेष रहा जो कुछ भी थोडा
बस उसको जीवन से जोड़ा
लेकिन शायद अपराधी हूँ में
जो यह बंधन तोड़ जाऊँगा
उन्मुक्त हूँ में
देखना उड़ जाऊँगा एक दिन

कृते अंकेश
   
 
 

2 comments:

अमित कुमार said...
This comment has been removed by a blog administrator.
Unknown said...

Thanks Amit :-)