Thursday, March 15, 2012

अश्को में गुजारी तो क्या गुजारी ज़िन्दगी
जीकर भी रहे गुमसुम न सवारी ज़िन्दगी

आँखों में लेकर दिल की गहराइयाँ डूबे
चोट खाई तो क्या है प्यारी ज़िन्दगी

रंगों के यहाँ मौसम करवट बदलते रहते
जो साथ थे कभी, वो पास भी न होते

जिन आँखों में थी कभी उतारी ज़िन्दगी
अब ढूँढ़ते है उनको वो हमारी ज़िन्दगी

अश्को में गुजारी तो क्या गुजारी ज़िन्दगी
जीकर भी रहे गुमसुम न सवारी ज़िन्दगी

यु भूलकर किसी को चेहरे कहा बदलते
एक मोड़ पर बन जब  अजनबी से है मिलते

मेघो ने लगता  जैसे कोई रागिनी हो गायी
सारी नमी हवा की पलकों में घिर हो छायी

अब तो लगे की जैसे तुम्हारी है ज़िन्दगी
जीकर भी रहे गुमसुम न सवारी ज़िन्दगी  
 
कृते अंकेश

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